गाय और गांव

गाय और गांव - ग्राम आधारित विकास के आधार पर नवभारत का निर्माण , जैविक खेती , जैविक खाद्य , पन्चगव्य के प्रचार प्रसार , गाय के सन्वर्धन के लिये मासिक पत्रिका

गाय , गीता , गंगा , गायत्री , गोपाल ( कृष्णजी ),गुरु ,गौरी (बेटिया ) , गांव - ये सब '' ( गकार ) ही भारतीय संस्कृति के आधार है , स्तम्भ है।

Friday, June 20, 2014

थाईलैंड देश में गोसेवा

थाईलैंड में गोसेवा 

भारी बारिश के बाद भारी भीड़ इकठ्ठा हुई सनम लुआंग , रॉयल मैदान में  वैसे  कुछलोग राजा की एक झलक पाने के लिए उत्साहित थी पर अधिकाँश भीड़ मैदान के चारो ऒरमुख्या घटना को देखने के लिए खड़ी थी - शाही जुताई समारोह ( Royal Ploughing Ceremony ).यह समारोह अच्छी फसल सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।  जुताईसमारोह महात्मा बुद्ध से भी पहले , 2500 साल पहले से आयोजित किया जाता है।  इससमारोह की तारीख ब्राह्मण ज्योतिसियो द्वारा सुनिश्चित की जाती है।  थाईलैंड अब भी कृषिप्रधान देश है , आधी से ज्यादा थाईलैंड की जनता कृषि पर ही निर्भर है। जुताई समारोहकिसानो का मनोबल बढ़ने के लिए की जाती है , और वर्ष भर की फसल उत्पादन कीभविस्यवाणी भी करी जाती है।  इस समारोह को रक ना क्वान कहा जाता है - मतलबपहली शुभ जुताई।  हालांकि राजा और शाही परिवार मौजूद होते है पर समारोह (2013 ) केप्रमुख है दो सफ़ेद बैल - प्र को फाह और प्र को साईं।  राजा की उम्र ज्यादा है इसलिए वो एकमुखिया बनाता है जो पुरे जुलूस के साथ खेत जोतता है।  जुलूस का नेतृत्व ब्राह्मणो द्वाराकिया जाता है।  बैलो को सुन्दर कपड़ो  गहनो से सजाया जाता है।  ब्राह्मण खेत में पानीऔर बीज छिड़कता है।  उसके बाद बैल खेत को तीन बार और जोतते है। उसके बाद बैल जोखाना पसंद करता है उसके हिसाब से ब्राह्मण साल की उपज की भविस्य वाणी करता है